Monday, April 12, 2010

आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,
क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है. .
चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,
तोह चाँद की चाहत किसे होती.
कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,
तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.
कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,
इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,
जब दिल उब जाए हमसे तोह बता देना,
न बताकर बेवफाई मत करना

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